आलोचना >> परशुराम शुक्ल की बाल कविताओं में मूल्य परशुराम शुक्ल की बाल कविताओं में मूल्यअनिता रानी
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परशुराम शुक्ल की बाल कविताओं में मूल्य
प्रत्येक समाज के अपने मूल्य होते हैं। इन पर समय का प्रभाव पड़ता है। आज से एक हजार वर्ष पहले के मूल्य आज के मूल्यों से भिन्न होंगे। इसी प्रकार मूल्यों पर स्थान का प्रभाव पड़ता है। भारतीय समाज के मूल्य अमरीकी समाज अथवा रूसी समाज से भिन्न हैं। मूल्यों के संबंध में यह जान लेना भी आवश्यक है कि इनकी कोई शाश्वत विचारधारा नहीं है। भारतीय विद्वानों और पाश्चात्य विद्वानों ने मूल्यों को अपने-अपने ढंग से परिभाषित करने का प्रयास किया है। डॉ. राधाकमल मुकर्जी पहले भारतीय विद्वान थे, जिन्होंने मूल्यों का सूक्ष्म और गहन अध्ययन किया तथा भारतीय और पाश्चात्य विचारधारा को संवाद के रूप में प्रस्तुत किया।
मूल्यों का गहन अध्ययन करने से यह स्पष्ट हो जाता है कि सामाजिक स्वीकृति और समाजिक नियंत्रण के कारण प्रत्येक व्यक्ति मूल्यों को प्राप्त करने का प्रयास करता है एवं इसके लिए साधनों का चयन करता है। बहत से मूल्य आपस में एक-दसरे से घुल मिल जाते हैं और एक दूसरे को प्रभावित करते हैं। इसके परिणामस्वरूप व्यक्ति के व्यवहारों में कभी संतुलन तो कभी असंतुलन देखने को मिलता है। साहित्य, कला, संगीत और धर्म से जुड़े महान व्यक्तियों में अन्तर्राष्टि विकसित हो जाती है, अतः उनके लिए आधारभूत नियमों और मूल्यों को पहचानना और उन्हें प्रभावशाली ढंग से प्रस्तुत करना सरल हो जाता है।
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